आलोक भाई अभी अभी अमरीका से हो कर गए हैं, शायद यहाँ से कुछ खास चीज खाकर गए हैं ( समीर जी व जीतू भाई अफसोस आलोक अपुन पियक्कड़ो जैसे नहीं हैं, नहीं तो लिखता खा-पीकर गए हैं)। इस लिए की जाते ही फटाक फटाक दो “बड़ी सी” प्रविष्टियां लिख डाली। बड़ी सी पर जोर इस लिए दे रहा हूँ कि आलोक अपनी कम लिखे को ज्यादा समझना – तार को खते समझना जैसी ब्लॉग पोस्टों के लिए बदनाम प्रसिद्ध हैं। खैर अगर ऐसी कोई बात है तो मैं आलोक से इस खाने वाली चीज के बारे में जरुर जानना चाहुंगा। श्रीमती जी कैमिस्ट्री की रिसर्च-स्नातक हैं उनसे कह कर इस चीज के अंदर के विटामिन निकलवाकर – बड़ी पोस्ट लिखने की गोली बना-बना कर बेचेंगे।

वैसे लिखना तो आलोक को पहले चाहिए था कि अमरीका उन्हें कैसा लगा। वैसा ही जैसा वे सोचते था या अलग। पर उन्होंने अपनी सोच की छिपकली सभी पर छोड़ दी अभी भाई लोग अनुगूंज में सोच सोच कर लिख रहे हैं। अब बड़े भाई ने कहा है तो लिखना तो पड़ेगा ही। तो लीजिए हमारी भी श्वेत-श्याम आहुति इस 22वीं अनुगूंज में।

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The image “http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/4/4e/LocationMalawi.svg/250px-LocationMalawi.svg.png” cannot be displayed, because it contains errors.विलियम कामक्वाम्बा मालावी में रहने वाले एक 19 वर्षीय युवक का नाम है। जिस जगह वह रहते हैं वहाँ बिजली नहीं आती। अभी तक उनके घर पर रात में रोशनी के लिए मोमबत्ती का प्रयोग होता था। मोमबत्ती से निकलने वाले धूंए से उनकी बहन की सेहत पर भी असर पड़ रहा था। 14 साल की उमर में विलियम को लगा कि इस बारे में कुछ करना चाहिए। आप सोचिए ऐसी जगह जहाँ बिजली नहीं आती एक 14 साल का लड़का अकेले क्या कर सकता है। अपने यहाँ हिन्दुस्तान में भी कितने गाँव होंगे जहां बिजली नहीं आती और हम लोग सरकार की तरफ देखते रहते हैं। लेकिन विलियम हाथ पर हाथ रख कर बैठने वालों में से नहीं था। उसने स्वदेश देखे बिना ही एक शाहरुख वाला काम कर दिखाया और वे तो नासा में काम भी नही करते।

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आज घूमते घूमते बड़े ही काम के सजाल के बारे में पता चला। नाम है नेशन-मास्टर। यहाँ आप अलग अलग देशों के अलग अलग आंकड़ों के बारे जान सकते हो। निश्चित है कि मेरा पहला निशाना क्या होगा। तो लीजिए जनाब जरा नीचे की छवि पर निगाह डालिए व देखिए कि हम कहाँ कहाँ शाईन कर रहे हैं   यानि कि हमारे यहाँ सबसे ज्यादा पुलिस हैं भई जनसंख्या दूसरे नम्बर की है तो ज्यादा मामू लोग भी चहिए होंगे न। समझते नहीं हैं। अब ज्यादा पुलिस वाले हैं तो पकड़े भी ज्यादा लोग जाएगें पर ये क्या पकड़े जाने के बाद छूटने वाले लोगों की भी संख्या सबसे ज्यादा है। अब यहाँ पर मेरा पहले वाला तर्क नहीं चलता कि लोग ज्यादा पुलिस ज्यादा इसी लिए छूटने वाले भी ज्यादा क्यूंकि अपने यहाँ इतने लोग पकड़े जाने के बाद अदालतों द्वारा छोड़े जाते हैं कि यदि अगले 48 देशों में छोड़े जाने वाले लोगों के नम्बरों को जोड़े तो भी हम लोग भारी पड़ते हैं। इसका क्या मतलब है

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अभी थोड़े दिन पहले 7/7/7 निकली है उस दिन दुनिया के नए सात अजूबों की सूची जारी की गई। दुनिया में सात अजूबों के अलावा सात पाप भी प्रसिद्ध हैं। लेकिन इन सभी में से एक पाप ऐसा है जो सबसे बेकार हैं। चलिए देखते हैं आप की नजरों में सबसे घटिया पाप कौन सा है। नीचे दिए गए पोल में एक चुन कर बताऐं। और यदि आप को लगता है कि अरे भाई इन में से कोई तो पाप नहीं है इस बारें में टिप्पणी में लिखें

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डसिडेराटा मैक्स एहरमैन की बड़ी ही सुंदर कविता है। अतानु डे की एक प्रविष्टि से इसके बारे में पता चला। बहुत ही कम शब्दों में मैक्स ने जिंदगी की बहुत सी बातें कह दी। मौका लगे तो पढ़िएगा। मैंने हिन्दी में एक पैरा अनुवाद करने की कोशिश की है । बाकी सारी की सारी अंग्रेजी में छाप रहा हूँ।

 

शोर और भीड़ में शांत भाव से चलो

सोचो सन्नाटे में कितनी शांति होगी

बिनो झुके जहाँ तक हो सके

सभी से अच्छे रिश्तों में रहो

अपना सच धीरे व स्पष्टता से कहो

व दूसरों को सुनो

चुप व औघड़ लोगों की भी

अपनी कहानी होती है

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कुछ दिन पहले सौतन के बेटे (मेरा मोबाइल जिस पर ईमेल आती है) ने आलोक का कम-लिखे-को-ज्यादा समझने वाला संदेश दिया कि “भई हम आपके देश में है, समय मिले तो फोन कीजिएगा”। हमारी खुशी का ठिकाना नहीं कि चलिए आखिरकार आलोक से मिलना हो पाएगा। आलोक भाई ने अंतर्जाल पर हिन्दी का पहला जाल बिछाया था तो इस नजर से वे हैं हिन्दी के पहले स्पाइडर मैन साथ ही वे मेरे कॉलेज के सुपर सीनियर (जिनसे आप कॉलेज में न मिले हों) भी हैं इसलिए बाते भी करने को काफी होंगी।

फोन लगाया तो पता लगा कि वे सिलिकन वैली पधार रहे हैं व गूगल वालों से भी मिलेंगे। भई वाह हम पड़ोस में रहते हैं पर आजतक उन लोगों से हिन्दी के बारे में बात करने नहीं गए। आलोक भाई उनसे मिले भी व उनसे हिन्दी के बारे में चर्चा भी की। इस बारे में आगे लिखूंगा। वहाँ गूगल वालों ने क्या खिलाया यह तो वे स्वयं ही बताएंगे। खैर फोन पर तय हुआ कि हम लोग साथ साथ सैन होज़े से करीब 160 किलोमीटर दूर पोआंइट रियज़ नामक जगह पर जाएंगे। यह एक राष्ट्रीय पार्क है व वहां एक बहुत ही सुंदर लाइटहाउस भी है।

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लीजिए जनाब यदि आप अभी तक ऐप्पल के सफारी नामक ब्राउजर का उपयोग करना चाहते थे लेकिन ऐप्पल न होने की वजह से न कर पाए हों तो अब आप कर सकते हैं। आज यहाँ सुबह सैन फ्रांसिस्को में स्टीव जॉब्स ने सफारी ब्राउजर के विंडोज़ पर उपलब्ध होने की घोषणा की। आप इसे यहाँ से डाउनलोड कर सकते हैं। मैंने इस पर मिर्ची सेठ पर जाकर देखा व सरसरी तौर पर दो चीजें नोट की

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पंकज नरूला

A Product Guy working in Cloud in particular SAP HANA Cloud Platform playing with Cloud Foundry + Subscription and Usage billing models

Product Management

San Francisco Bayarea