कंस्लटिंग के चलते बहुत सी कम्पनियों में काम करने को मिलता है। बहुत से लोगों का काम करने के वातावरण को देखने, उसमें घुलने मिलने को भी मिलता है। इसे ग्लोबलाईजेशन की दुर्घटना कहें या कुछ और लगभग सभी कम्पनियों में कम्पयूटर स्टाफ में अपने देसी भाई यानि भारतीय भी खूब मिलते हैं। भारतीय होने के अलावा एक और बात जो लगभग सभी जगह देसीभाईयों में एकरस देखने को मिलती है कि अपन लोग समय की कदर बहुत कम करते हैं। मीटिंग मे बहुधा लेट पहुंचते हैं और यदि मीटिंग सुबह के 8 बजे हुई तो समझ लो बज गई घंटी।

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पिछले महीने एक खिलौना खरीदा इतना पसंद है कि श्रीमती जी का कहना है कि पहले लैपटॉप सौतन थी अब यह सौतन का बच्चा आ गया है। तो बताईए क्या। यदि आपने बता दिया कि मैं किसके बारे में बात कर रहा हूँ तो इसके बारे में आगे लिखेंगे।

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कहते हैं समय बड़ा बलवान, पर भाई मेरे ख्याल से अमरीकी समय से भी बलवान हैं। हर साल दो बार समय बदल देते हैं। मेरा इशारा है “डे-लाइट सेविंग्स” की तरफ। अभी आज सुबह समय एक घंटा आगे हो गया यानि कि स्प्रिंग अहेड या फिर बसंत उछाल। बसंत के आते ही सूरज थोड़ा पहले उगना शुरु हो जाता है व ज्यादा देर तक रोशनी रहती है। समय एक घंटा आगे करने से आप पुराने समय के हिसाब से सात बजे उठेंगे जबकि समय होगा आठ। हाय राम एक घंटा कहां गया। देसी भाईयों को इससे बड़ी परेशानी होती है। एक भाई तो अपना समय ही ठीक नहीं करता।

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श्रीश जी के पिंग ने चिट्ठाजगत की दुनिया में फैली महामारी से परिचित कराया। पता लगा कि दिग्गज लोग नए नए तरीके से मल्टी लेवल मारक्टिंग की तरह अपने मित्रों को इस महामारी की चपेट में ला रहे हैं। मजे की बात है कि पहली बार मल्टी लेवल मार्कटिंग पसंद आ रही है। कत्ल होने वाले अपने कत्ल से खुश हैं और यही नहीं कातिल का शुक्रिया अदा कर रहे हैं। वाह री ब्लागिंग। चलिए अब जब इस महफिल में आ ही गए हैं तो ये काम भी कर लेते हैं। सवाल कुछ ऐसे थे कि जवाबों के लिए दो तीन साल वापिस जाना पड़ा। हाँ भाई के पुराने किस्से याद दिलाने के लिए श्रीश भाई का शुक्रिया। मेरे जवाब 

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क्यूँकि फॉयरफॉक्स के गुणों के बारे में श्रृंख्ला लिख चुका हूँ इस लिए बनता है कि इसके बारे में फिर से लिखूँ। यदि उपरी तौर से देखा जाए तो आप कह सकते हैं कि केवल टैब्ड-ब्राउजिंग के लिए इतना हल्ला मचाना कहाँ तक लाजमी है। पर बात सिर्फ इतनी ही नहीं। इसका मुक्त-सोर्स व प्लगइन या एड-ऑन इसका सबसे बड़ा फायदा है। पदमा अब उदाहरण के लिए पदमा प्लगइन को लीजिए पदमा जो कि सुषा व इसके जैसे कई अयूनिकोडित फांटों वाले सजालों को ऑन-द-फलाई यूनिकोड में बदल देता है। मैं बहुत दिन तक अभिव्यक्ति व अनुभूति पर जाता भी नहीं था पर पदमा की मदद से अब आराम से फॉयरफॉक्स में ही पढ़ता हूँ।

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चिट्ठों की लोकप्रियता का सबसे बड़ा कारण है उनका अनौपचारिकता का लेखन। लिखते हुए भाई लोगों को इस बात की चिन्ता नहीं रहती कि सुन्दर लिख रहा हूँ कि नहीं। कहीं कुछ नियमों के बाहिर तो नहीं लिख दिया। कहीं संपादक की कैंची ज्यादा तो नहीं चल जाएगी मेरे लेख पर। लेख छपेगा भी नहीं। अपने मन के मालिक हम खुद। जब छपास पीड़ा हुई, चाहे अमित की २४x७ की रूटीन हो या कालीचरण गॉड के बारह बजे, बस कभी भी ब्लॉगर या फिर वर्डप्रैस पर जाकर कीबोर्ड की चटक चटक चटाकाई और एक ठौ बढ़िया वाला लेख अंतर्जाल पर आपके नाम से आपकी दूकान में प्रकाशित हो गया। ब्लॉगविधा के बिना नारद कुवैत में बैठे बैठे अपनी नई किताब कहाँ छापते। वैश्विक गणतंत्र का इसे बड़ा उदाहरण क्या होगा।

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अनूप जी उर्फ फुरसतिया जी समय समय पर फूल व फुलझड़ियाँ छोड़ते रहते हैं। ताजा अंक है कविता अनूप जी उर्फ फुरसतिया जी समय समय पर फूल व फुलझड़ियाँ छोड़ते रहते हैं। ताजा अंक है कविता जिसमें उनकी इनायत सभी चिट्ठाकारो पर हुई है। कविता का दूसरा पैरा बहुत ही जोरदार है जो की जरुरत की हिसाब से हर जगह फिट कर सकते हैं **********हम तो उंनीदे थे बढ़िया लिखने के गुमानी-गलीचे पे

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पंकज नरूला

A Product Guy working in Cloud in particular SAP HANA Cloud Platform playing with Cloud Foundry + Subscription and Usage billing models

Product Management

San Francisco Bayarea