पिछली अगस्त में टाटा वालों ने अपनी दूकान का सामान बढ़ाने के लिए यही कुछ 677 मिलियन डालर (2700 करोड़ रुपए से भी ज्यादा) में यहाँ अमरीका की ग्लेस्यू एक रसीला (विटामिन वाला) पानी बनाने वाली कम्पनी का करीब एक तिहाई हिस्सा खरीद लिया था। टाटा वालों का मानना था कि इस से एक तो दूकान का सामान बढ़ेगा व यह खरीद लम्बी दौड़ का घोड़ा साबित होगा।
पर इधर अपनी कोका कोला वाले भी दूकान में सामान बढ़ाना चाहते हैं और घोड़े तो उन्हें भी चाहिए। इनकी नजरें भी ग्लेस्यू पर गढ़ गई व टाटा वालों ने तो एक तिहाई खरीदी थी इन्होंने कल इसे पूरी की पूरी 4.
पिछले नौं साल से कम्पयूटर इंडस्टरी में काम कर रहा हूँ व उस से भी ज्यादा देर से इसके बारे में जानता हूँ। काफी बार यह प्रश्न दिमाग में आता है कि ये मार्किट कम्पयूटर ज्ञान को इतनी तवज्जो क्यों देती है? आज के दौर में एक साथ इतने सारे लोगों को बाकी लोगों से औसतन ज्यादा पैसे देने वाली इंडस्टरी शायद कम्पयूटर ही है।
इस प्रश्न का जवाब यदि एक शब्द में देना हो तो वह है इनोवेशन या नवोत्पाद। अब यदि एक तरफ आप मारुति में मशीन के पास काम करने वाला वर्कर लें और दूसरी तरफ इंफोसिस में काम करने वाला वर्कर लें तो दोनों में क्या अंतर पाएंगे। मारूति वाले आदमी का काम पूरी तरह से निर्धारित है। हर रोज उसे गिन चुने काम पहले से निर्धारित प्रक्रिया से पूरे करने हैं। वहीं दूसरी तरफ इंफोसिस वाले आदमी को हर चार पाँच महीने में नए प्रोजेक्ट पर काम करना है। हर जगह कुछ न कुछ नया करना है। हो सकता है उसे नए प्रोग्राम लिखने हों और अच्छा प्रोग्राम लिखना व कविता लिखना बराबर ही है। हो सकता है उसे क्लाइंट के वातावरण के हिसाब से कुछ नया लगाना हो।
क्या कभी आपने ऐसी पुस्तक पढ़ी है जिसे आप पढ़ते जाएं व लिखने वाले की तारीफ करते जाएं। कुछ ऐसी ही किताब पढ़ी पिछले हफ्ते। अमीरी, कैसे बनें व कैसे बनाए रखें पर इससे पतली व बढ़िया किताब शायद न पढ़ी हो। किताब में दिए गए फंडे वैसे तो बहुत ही सरल हैं व कहानियों के माध्यम से कहे गए हैं पर सटीक हैं एकदम। शुरु के पन्नों में दो दोस्त बातें कर रहे हैं कि यार हम लोग इतनी मेहनत करते हैं, अपने अपने धंधे में बेहतरीन हैं फिर पैसे के मामलें कंगाल। क्या वजह हो सकती है। तो दोनो सोचते हैं कि बेबीलोन जहाँ वे रहते हैं के सबसे अमीर आदमी से पूछते हैं। यह अमीर भी फर्श से अरश वाला अमीर है व भलामानस है व उन्हें अपने अमीर होने के नुस्खे बताता है। सुधीजनों के लिए फ्री में अमीर होने के सात नुस्खे जो बेबीलोन के सबसे अमीर अर्काड ने बताए थे
कितना मजा आता न कोई आपसे कहता कि भाई अपना पैसा मुझे दो मैं आप को दूगना करके वापिस कर दूँगा। वैसे ऐसा कहने वाले तो बहुत मिल जाऐंगे पर आप जानते हैं न आपके पैसा का क्या होगा। थोड़े साल पहले तक भारतीय सरकार सच में कुछ ऐसा ही करती थी। इंदिरा विकास पत्र, किसान विकास पत्र पाँच पाँच साल में पैसा दूगना कर के दे देते थे। आज कल तो 8-9 साल लग जाते हैं ऐसे पैसा दूगने करने में।
कहते हैं कि मूद्रा बाजार में किसी उत्पाद की जरूरत पैदा होनी चाहिए उसको बेचने वाले जादूई तरीके से पैदा हो जाते हैं। अब अमरीका के बढ़ते हुए ऋण को ही लीजिए इसका सबसे बड़ा परिणाम क्या हो सकता है भई डालर के गिरने की संभावना है। वारेन बफे सरीखे लोग तो इस पर करोड़ों का जूआ खेल भी चुके हैं। क्या आपके पास भी खूब सारे डालर जमा हैं और आप को भी डर लग रहा है कि गर डालर की कीमत गिरी तो क्या होगा। उदाहरण के तौर पर यदि आप के पास दस हजार हैं और डालर ४४ से ४२ पर आ जाता है तो आप का रुपयों के हिसाब से तो बीस का फटका लग गया ना। तो क्या करें चलो ऐसा करते हैं डालर इंडिया भेज देते हैं वहाँ रहेंगे तो डालर जो मर्जी करें अपुन तो सेफ हैं। पर हाय कर जरुरत पड़ेगी तो वापिस लाने में फिर पंगा।
भारतीय शेयर बाजार की अंधाधूंध बढोत्तरी का एक बड़ा कारण है बाहर का पैसा। जब विदेशी निवेशको को अपने पैसी की अच्छी वसूली भारत में दिखती नजर आई तो काफी पैसा अपने यहाँ आने लगा। शायद जितना पिछले पूरे साल में आया था वह साल के पहले तीन महीनों मे ही आ चुका है। इसका मतलब यह नहीं कि अमरीका का ग्रेग, इंगलैंड का थॉमस व जर्मनी का इंगो बैठे हुए यह पैसा निवेश कर रहे हैं। यह पैसा होता है ग्रेग, थॉमस, व इंगो द्वारा निवेशित उनके म्यूचल फंडो का यानि कि वित्त संस्थानो का पैसा। आज की शेयर मार्किट हर जगह ऐसी है कि ज्यादा पैसा वित्त संस्थानों का ही होता है। इन संस्थानों में आई आई एम, हार्वड शिक्षित वित्त प्रबंधक होते हैं जिनका रात दिन का काम यही होता है कि कैसे इस पैसे को बढ़ाया जाए।