गेपिंग वोयड एक कलाकार व मशहूर ब्लॉगर हैं जो कि बिज़नेस कार्डस के पीछे कार्टून बनाते हैं। उनका नया कार्टून देखा भगवान न करे किसी को ऐसा दिन देखना पड़े
अभी थोड़े दिन पहले 7/7/7 निकली है उस दिन दुनिया के नए सात अजूबों की सूची जारी की गई। दुनिया में सात अजूबों के अलावा सात पाप भी प्रसिद्ध हैं। लेकिन इन सभी में से एक पाप ऐसा है जो सबसे बेकार हैं। चलिए देखते हैं आप की नजरों में सबसे घटिया पाप कौन सा है। नीचे दिए गए पोल में एक चुन कर बताऐं। और यदि आप को लगता है कि अरे भाई इन में से कोई तो पाप नहीं है इस बारें में टिप्पणी में लिखें
डसिडेराटा मैक्स एहरमैन की बड़ी ही सुंदर कविता है। अतानु डे की एक प्रविष्टि से इसके बारे में पता चला। बहुत ही कम शब्दों में मैक्स ने जिंदगी की बहुत सी बातें कह दी। मौका लगे तो पढ़िएगा। मैंने हिन्दी में एक पैरा अनुवाद करने की कोशिश की है । बाकी सारी की सारी अंग्रेजी में छाप रहा हूँ।
शोर और भीड़ में शांत भाव से चलो
सोचो सन्नाटे में कितनी शांति होगी
बिनो झुके जहाँ तक हो सके
सभी से अच्छे रिश्तों में रहो
अपना सच धीरे व स्पष्टता से कहो
व दूसरों को सुनो
चुप व औघड़ लोगों की भी
अपनी कहानी होती है
चिट्ठों की लोकप्रियता का सबसे बड़ा कारण है उनका अनौपचारिकता का लेखन। लिखते हुए भाई लोगों को इस बात की चिन्ता नहीं रहती कि सुन्दर लिख रहा हूँ कि नहीं। कहीं कुछ नियमों के बाहिर तो नहीं लिख दिया। कहीं संपादक की कैंची ज्यादा तो नहीं चल जाएगी मेरे लेख पर। लेख छपेगा भी नहीं। अपने मन के मालिक हम खुद। जब छपास पीड़ा हुई, चाहे अमित की २४x७ की रूटीन हो या कालीचरण गॉड के बारह बजे, बस कभी भी ब्लॉगर या फिर वर्डप्रैस पर जाकर कीबोर्ड की चटक चटक चटाकाई और एक ठौ बढ़िया वाला लेख अंतर्जाल पर आपके नाम से आपकी दूकान में प्रकाशित हो गया। ब्लॉगविधा के बिना नारद कुवैत में बैठे बैठे अपनी नई किताब कहाँ छापते। वैश्विक गणतंत्र का इसे बड़ा उदाहरण क्या होगा।
१९४४ में लंदन युनिवर्सटी की ग्रेजूएट होती क्लास को दिए गए व्याख्यान में सी एस लुईस ने एक अंदर के छल्ले की बात की थी। उनके अनुसार हर ग्रुप, समाज, पार्टी में एक अंदर का छल्ला (अंग्रेजी में इन्नर रिंग) होता है और इस छल्ले से जुड़ने की, इस में होने की चाह सभी में हद से बढ़कर होती है। स्कूल में यह स्मार्ट समझे जाने वाले छात्रों के ग्रुप से जुड़ने का, ऑफिस में बॉस लोगों की संगति का या मुम्बई में यश चोपड़ा, सुभाष घई की पार्टी में जाने का लोभ हो सकता है।
बचपन में जब भारत एक खोज आता था तो उसके आरंभ में आने वाला गीत बड़ा सही लगता था। सुनने में अच्छा था और बोल मुंह पर चढ़ भी गए थे। यहाँ आने के बात वह गीत के बारे में याद तो था पर उस से अधिक कुछ नहीं। फिर घूमते घूमते “Hymn of Creation” के बारे में पता चला व यह भी पता चला की यहाँ पाश्चातय जगत में ऋग्वेद की सबसे प्रसिद्ध श्रुति भी यही है। अंतर्जाल पर जाकर इसका अंग्रेजी रुपांतर पढ़ा तो लगा कि क्या बढ़िया लिखा है। फिर ध्यान आया कि भारत एक खोज वाला गीत इसका हिन्दी रुपांतर है। खोज शुरु हुई पर मिला नहीं। कल राहुल की इमेल आई तो उसने विवेक राय के सजाल के बारे में बताया जहाँ उन्होंने अंग्रेजी वाली हिन्दी में इसे लिखा हुआ था चुंकि देवनागरी में लिखा और भी सुन्दर लगेगा लीजिए
आज एक दोस्त से बात करते हुए एक और दोस्त राहुल का जिकर् आन पड़ा उसका ब्लॉग जाकर पढ़ना शुरु किया तो पता लगा कि भैया को गज़लों का शौक हो आया है। अब इसे छड़ेपन की निशानी माने या परिपक्वता की तो पता नहीं। पर राहुल काफी सही शेरों के बारे में लिखते हैं। अब गालिब का यह वाला आज एक दोस्त से बात करते हुए एक और दोस्त राहुल का जिकर् आन पड़ा उसका ब्लॉग जाकर पढ़ना शुरु किया तो पता लगा कि भैया को गज़लों का शौक हो आया है। अब इसे छड़ेपन की निशानी माने या परिपक्वता की तो पता नहीं। पर राहुल काफी सही शेरों के बारे में लिखते हैं। अब गालिब का यह वाला