सुबह जब बिस्तर से निकलने में मुश्किल हो, तो अपने आप से कहो “ मुझे एक आदमी की तरह, काम पर जाना है। यदि मैं वही करने जा रहा हूँ जिस के लिए मेरा जन्म हूआ है – और जिस के लिए मैं इस दुनिया में लाया गया था तो मैं कैसे शिकायत कर सकता हूँ ? या फिर मैं इसी के लिए जन्मा था ? कम्बल के नीचे घुस कर मस्ती से सोने के लिए ?
हिन्दी चिट्ठों की दुनिया छोटी सी है। पिछले तीन-चार सालों में दसियों से हजारों चिट्ठों के सफर में पहली सीटों पर बैठने का भी मौका मिला। देबू के चिट्ठा विश्व से शुरु हुए सफर में नारद ने हिन्दी ब्लॉगिंग के शुरुआती दौर में अपनी अलग जगह बनाई। पिछले कुछ महीनों में नए चिट्ठाजगत, ब्लॉगवाणी एग्रीगेटर आरंभ हुए व अब हिन्दी ब्लॉगपाठकों के पास नई प्रविष्टियाँ पढ़ने के लिए काफी उपाय हैं। विभिन्न एग्रीगेटरों के चलते गुणीजनों में यह विचार उठे थे कि इतने संकलकों की कोई जरुरत नहीं है। लेकिन यदि कल न्यूयार्क टाईम्स के पैसे देकर पढ़े जा सकने वाली सामग्री को फ्री करने के फैसले को देखें तो पाएंगे कि याहू, गूगल इत्यादि की तरह संकलक जरुरी हैं
लोजी अब पक्का हो गया। टीवी से भारत की ग्रामीण महिलाओं का बहुत विकास हो रहा है। अब यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो की एमिली ऑस्टर तो यही कहती हैं। उन्होंने एक रिसर्च पेपर प्रकाशित किया है जिसका नतीजा यही है कि भारत में गाँवों में केबल टीवी लगने के बाद
चाल-चलन व रवैये में काफी फर्क आया है औरते इस बात पर कम सहमत होती हैं कि औरतों के प्रति घरेलू झगड़े की मारपीट सही हैं वे अपनी अधिक स्वतंत्रता की बात करती हैं जैसे कि कहीं जाने से पहले किसी से पूछ कर जाना पहले बच्चा लड़का ही हो इस बात पर कम झुकाव दर्शाती हैं लड़कियों के स्कूलों में दाखिले में वृद्धि बच्चों की पैदाइश दर में कमी आप पूरा पेपर यहाँ से पढ़ सकते हैं। आप इस से कितने सहमत / असहमत हैं कमेंट द्वारा जरूर बतावें।
आजकल लड़के लड़कियों को स्कूलों में यौन शिक्षा दी जानी चाहिए या नहीं पर बहस का बाजार गरम हो रहा है। सदैव मुस्कुराते शास्त्री जी ने पहले सर्व किया व नेशन-मास्टर के आंकड़ों को दिखाते हुए मत रखा कि देखिए इन पश्चिम वालों को पिछले 50 सालों से शिक्षा दे रहे हैं पर कुछ फायदा नहीं हुआ दिखता। उलटे ब्लात्कार व यौन संबंधित अपराध बड़े ही हैं। यानि की यौन शिक्षा का लंबे समय से चलता आ रहा प्रयोग असफल।
विलियम कामक्वाम्बा मालावी में रहने वाले एक 19 वर्षीय युवक का नाम है। जिस जगह वह रहते हैं वहाँ बिजली नहीं आती। अभी तक उनके घर पर रात में रोशनी के लिए मोमबत्ती का प्रयोग होता था। मोमबत्ती से निकलने वाले धूंए से उनकी बहन की सेहत पर भी असर पड़ रहा था। 14 साल की उमर में विलियम को लगा कि इस बारे में कुछ करना चाहिए। आप सोचिए ऐसी जगह जहाँ बिजली नहीं आती एक 14 साल का लड़का अकेले क्या कर सकता है। अपने यहाँ हिन्दुस्तान में भी कितने गाँव होंगे जहां बिजली नहीं आती और हम लोग सरकार की तरफ देखते रहते हैं। लेकिन विलियम हाथ पर हाथ रख कर बैठने वालों में से नहीं था। उसने स्वदेश देखे बिना ही एक शाहरुख वाला काम कर दिखाया और वे तो नासा में काम भी नही करते।
आज घूमते घूमते बड़े ही काम के सजाल के बारे में पता चला। नाम है नेशन-मास्टर। यहाँ आप अलग अलग देशों के अलग अलग आंकड़ों के बारे जान सकते हो। निश्चित है कि मेरा पहला निशाना क्या होगा। तो लीजिए जनाब जरा नीचे की छवि पर निगाह डालिए व देखिए कि हम कहाँ कहाँ शाईन कर रहे हैं
यानि कि हमारे यहाँ सबसे ज्यादा पुलिस हैं भई जनसंख्या दूसरे नम्बर की है तो ज्यादा मामू लोग भी चहिए होंगे न। समझते नहीं हैं। अब ज्यादा पुलिस वाले हैं तो पकड़े भी ज्यादा लोग जाएगें पर ये क्या पकड़े जाने के बाद छूटने वाले लोगों की भी संख्या सबसे ज्यादा है। अब यहाँ पर मेरा पहले वाला तर्क नहीं चलता कि लोग ज्यादा पुलिस ज्यादा इसी लिए छूटने वाले भी ज्यादा क्यूंकि अपने यहाँ इतने लोग पकड़े जाने के बाद अदालतों द्वारा छोड़े जाते हैं कि यदि अगले 48 देशों में छोड़े जाने वाले लोगों के नम्बरों को जोड़े तो भी हम लोग भारी पड़ते हैं। इसका क्या मतलब है
अभी थोड़े दिन पहले 7/7/7 निकली है उस दिन दुनिया के नए सात अजूबों की सूची जारी की गई। दुनिया में सात अजूबों के अलावा सात पाप भी प्रसिद्ध हैं। लेकिन इन सभी में से एक पाप ऐसा है जो सबसे बेकार हैं। चलिए देखते हैं आप की नजरों में सबसे घटिया पाप कौन सा है। नीचे दिए गए पोल में एक चुन कर बताऐं। और यदि आप को लगता है कि अरे भाई इन में से कोई तो पाप नहीं है इस बारें में टिप्पणी में लिखें