सरकारी नीतियों की वजह से भारत व रशिया दोस्त रहे हैं इसके फायदे नुक्सान तो खैर बहुत बड़ा मुद्दा है। यहाँ मैं किसी और ही चीज की बात कर रहा हूँ। कहते हैं कि दुनिया में हर चीज बिक सकती है हर चीज का बाजार है। बचपन से यह देखा भी है। पूरानी अखबारें, किताबें, कपड़ें. जंग लगा लोहा इत्यादि। शहर में कचरा बटरोने वाले भी सभी ने देखे हैं। पर क्या फ्यूज हुए बल्बों की मारकिट हो सकती है यानि कि कहीं पर फ्युज हुए बल्ब भी बिकें। तो जनाब ऐसा रशिया में होता था।

बात यह है कि समाजवाद के चलते हर चीज सरकार ही प्रदान करती थी। अब यदि आप के घर का बल्ब फ्यूज हो गया तो ऐसा नहीं कि आप बाजार गए और किरण इल्कट्रानिक्स वाले से जाकर लक्ष्मन सिलवेनिया लेकर पूरे घर के बदल डालोगे। सरकारी महकमें मे बताना पड़ता था कि बल्ब खराब हो गया है कर्पया नया बल्ब दे दें। पैसे नहीं लगते थे पर बल्ब मिलने में साल लग जाते थे। लेकिन वहीं पर यदि सरकारी महकमें में काम पर बल्ब खराब हो जाए तो झट से आ जाता था। अब तो आप समझ ही गए होंगे। जुगाड़ू लोग बाजार (काला) से थोड़े से पैसे खर्च कर फ्यूज बल्ब लगा कर ठीक वाला घर ले आते थे। है न सही जुगाड़ बिल्कुल देसी जुगाड़ की तरह।

साभार – मारजिनल रेवोलुशन