मेंढक बहरा हो गया
आजकल लड़के लड़कियों को स्कूलों में यौन शिक्षा दी जानी चाहिए या नहीं पर बहस का बाजार गरम हो रहा है। सदैव मुस्कुराते शास्त्री जी ने पहले सर्व किया व नेशन-मास्टर के आंकड़ों को दिखाते हुए मत रखा कि देखिए इन पश्चिम वालों को पिछले 50 सालों से शिक्षा दे रहे हैं पर कुछ फायदा नहीं हुआ दिखता। उलटे ब्लात्कार व यौन संबंधित अपराध बड़े ही हैं। यानि की यौन शिक्षा का लंबे समय से चलता आ रहा प्रयोग असफल।
शास्त्री जी के सर्व के जवाब में नीरज भाई रोहिल्ला ने बढ़िया वॉली की व अपनी दो टूक रखी। कि आंकड़ो-वांकड़ों से तो कुछ भी कहा जा सकता है। यौन शिक्षा दे रहे हैं इस लिए अपराध बढ़ रहे हैं कहना गलत होगा। नीरज जी के इस लॉजिक से में एक दम सहमत हूँ। अंग्रेजी में हिसाब व विज्ञान वालों के बीच एक कहावत चलती है Correlation is not causation यानि दो चीजों के परस्पर संबंध होने से कारण का होना पता नहीं चलता। एक कहानी सुनाता हूँ ज्यादा समझ में आएगा
पिंटू भाई वैज्ञानिक बड़े खुराफाती आदमी थे। जानवरों के साथ तरह तरह के पंगे वाले प्रयोग करते रहते थे। बगल के तालाब से एक मेंढक पकड़ लाए सोचे कि आज इस पर प्रयोग करेंगे। प्रयोगशाला में जाकर उसे कुछ धागों वगैरह से बांधा व फिर जोर से ताली बजाई - मेंढक जोर से उछला। फिर पिंटू भाई ने सर्जिकल ब्लेड लिया व चार में से एक टांग काट दी। फिर ताली बजाई। मेंढक फिर से उछला। अभी एक और टांग काट दी व ताली बजाई। मेंढक दो टांगों से जितना उछला सकता था उछला। अभी एक टांग और काट दी व ताली बजाई। मेंढक थोड़ा सा हिला। अभी पिंटू भाई ने रही सही एक टांग भी काट दी व इस बार फिर से ताली बजाई। मेंढक बिल्कुल न उछला।
प्रयोग का नतीजा मेंढक की चारों टांगे काटने से मेंढक बहरा हो जाता है
अभी यौन शिक्षा के क्या नफे-नुक्सान हैं व भारत के परिपेक्ष में इसके क्या मायने हैं यह लम्बी बहस का मुद्दा है देखतें हैं हिन्दी जाल जगत में इस बारे में और लोग क्या कहते हैं।
छवि साभार नारदक