आज कल जैक व सूजी वैल्च का स्तंभ बिज़नेस वीक में छपता है। इस बार एस गोपाल ने बैंगलोर से एक प्रश्न पूछा व सवाल जवाब इतना अच्छा है कि यहाँ लिख रहा हूँ ( अनुवाद की गलतियां मेरी। मूल यहाँ पर है)

चारों तरफ जीत व जीतने वालों की वाहवाही, कभी कभी मुझे सोचने पर मजबूर कर देती है कि इस दुनिया में हारे हुओं के लिए भी कुछ जगह है? दुनिया में कुछ ही लोग सफल होते हैं, तो क्या सभी असफल लोगों को आत्महत्या कर लेनी चाहिए?

क्या सवाल है, इस का एक मतलब तो साफ है कि आप केवल ज्यादा पैसा कमाना ही सफलता मानते हो। पर ऐसा होना नहीं चाहिए।

हमारी नजर में सफलता के मायने अलग हैं: अपने लक्ष्य स्थापित करना व फिर उन्हें पाना, न सिर्फ यही बल्कि इस से भी जरुरी इस सफलता के सफर के अनुभव का आनंद उठाना। सफलता का आप के काम से कुछ भी या सब कुछ लेना देना हो सकता है। बेशक आप एक बड़ी कम्पनी के आला अफसर होते हुए सफल हो सकते हैं, पर साथ ही आप बढ़ई बन कर, गणित अध्यापक, या फिर गायक बन कर भी सफल हो सकते हैं। आप पारिवारिक जिंदगी जीते हुए, माँ बाप की सेवा करते हुए, या अच्छे दोस्त बन कर भी सफल हो सकते हैं बशर्ते वह सपने आपने अपने लिए खुद चुने हों। वास्तव में दुनिया में सबसे सफल लोग वही होते हैं जो यह पूछने पर कि “क्या आप अपनी चुनी हुई जिंदगी जी रहे हैं” का जवाब हाँ में देते हैँ।

हमारी नजरों के सबसे एक सफल आदमी शायद आपके आर्थिक नजरिए पर सफल न मानें जांए। जिम ओ कॉनेल हारवर्ड मेडीकल स्कूल से स्नातक हो कर निकले। पर एक बहुत ही फायदेमंद कैरीयर को अपनाने की बजाए उन्होंने पिछले 25 साल हर रात बोस्टन में वैन चलाते हुए, बेघरों को मेडीकल हैल्प पहुंचाते हुए गुजारे हैं। जिम बहुत ही सामान्य जीवन जीता है, फिर भी उसकी जिंदगी खुशियाँ से भरी है, उसे सभी प्यार करते हैं राह चलतों से लेकर सांसदों तक।

देखिए, जीतना व हारना मापा नहीं जा सकता। ये तो मन की स्थिति है, और आप तभी हारते हो जब आप कर्म करना छोड़ते हो। । इस तरह से देखें तो दुनियां सफल व्यक्तियों से भरी होगी, और उसमें सभी के लिए जगह होगी।