रमण जी ने रमण जी ने के बारे में लिखा और हम ने भी फौरन देखने का मन बना लिया। अभी देखी जा रही है। बढ़िया है। एक डायलॉग सुना तो सोचा कि देखते हूए ही लिख देते हैं। एक पुलिस इंस्पैक्टर रेड में, उस पर अपने माँ बाप का रौब जमाते हुए लड़के को कहता है

कल देखा था उसे(लड़के की माँ), तेरे से भी छोटे लड़के के साथ। चल अब चलता है या खोलूँ और कुँडली। इट हैप्नस डूड!

वैसे मायानगरी की माया की सही कहानी है। बाकी पूरी देखने के बाद।

खत्म कहानी : ठोकर भी खाना है, चलते भी जाना है