हर बार कि तरह इस बार भी सारी दुनिया के लिखने के बाद अपनी ढपली बजा रहा हूँ। फिल्म तो दो हफ्ते पहले देख ली थी, समीक्षा लिखने अब बैठ रहा हूँ। स्वदेस से बहुत लोगों को बहुत तरह की उम्मीदें थी। सबसे ज्यादा कि देखें लगान का निर्देशक क्या नया करके दिखाता है। नया तो भैया उसने कर के दिखाया। पर शायद बॉक्स ऑफिस को पंसद न आए। पर मुझे बहुत पंसद आया। गर आप फिल्म मजे के लिए देखने जा रहे हो तो भाई न ही जाओ। पर यदि आप एक आप्रवासी भारतीय की अपनी जड़ों से जुड़ने की जद्दोजहद की कहानी, कुछ बेहतर अदाकारी और जिंदगी देखना चाहते हैं तो जरुर देखिए।

स्वदेश

मेरे अपने पंसदीदा सीन हैं मोहन भार्गव यानि शाहरुख खान के मैनेजर का मोहन का त्यागपत्र यह कह कर स्वीकारना

Mohan! Go light your bulb..

दूसरे पंसदीदा सीन में मोहन गाड़ी में बैठा है और गाड़ी स्टेशन पर रुकती है। एक 8-9 साल का बच्चा 25 पैसे पानी का गिलास कहता हुआ इधर से उधर घूम रहा है।

स्विस्तार समीक्षा आप इस [हर बार कि तरह इस बार भी सारी दुनिया के लिखने के बाद अपनी ढपली बजा रहा हूँ। फिल्म तो दो हफ्ते पहले देख ली थी, समीक्षा लिखने अब बैठ रहा हूँ। स्वदेस से बहुत लोगों को बहुत तरह की उम्मीदें थी। सबसे ज्यादा कि देखें लगान का निर्देशक क्या नया करके दिखाता है। नया तो भैया उसने कर के दिखाया। पर शायद बॉक्स ऑफिस को पंसद न आए। पर मुझे बहुत पंसद आया। गर आप फिल्म मजे के लिए देखने जा रहे हो तो भाई न ही जाओ। पर यदि आप एक आप्रवासी भारतीय की अपनी जड़ों से जुड़ने की जद्दोजहद की कहानी, कुछ बेहतर अदाकारी और जिंदगी देखना चाहते हैं तो जरुर देखिए।

स्वदेश

मेरे अपने पंसदीदा सीन हैं मोहन भार्गव यानि शाहरुख खान के मैनेजर का मोहन का त्यागपत्र यह कह कर स्वीकारना

Mohan! Go light your bulb..

दूसरे पंसदीदा सीन में मोहन गाड़ी में बैठा है और गाड़ी स्टेशन पर रुकती है। एक 8-9 साल का बच्चा 25 पैसे पानी का गिलास कहता हुआ इधर से उधर घूम रहा है।

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