मैंने अपनी इन्जीनियरिंग PEC चंडीगढ़ से की है, हाँ वही जो कल्पना चावला जी का कॉलेज भी था। अब चंडीगढ़ बसा है शिवालिक पहाड़ियों की गोद में। तो कॉलेज के दिनों में कई बार सप्ताहंत पर कसौली, शिमला वगैरह स्कूटरों पर भाग जाते थे। वहां पर छड़ों(अविवाहित के लिए पंजाबी शब्द) की महफिल खूब जमती थी। पर एक चीज़ थी जिससे सभी कतराते थे। बात यह थी कि देस में यह जगहाएं मधुमाह के लिए काफी प्रचलित थी। आप अपनी पिनक में कहीं जा रहे होंगे कि कहीं से कोई प्रेमाकुल नवयुगल अपने कैमरा के साथ प्रगट हो जाएगा और फिर भाईसाब एक फोटू खींच देंगे।

Vasu and Pankaj

अब यहाँ परदेस में गाहे बगाहे हर हफ्ते घूमना हो ही जाता है और नहीं तो मॉल ही चलते हैं देखें एक्सप्रैस, गैप, और मेसीज़ की दूकान पर कुछ आया के नहीं। सबसे बढ़िया बात श्रीमती जी की शॉपिंग क्षुधा भी शांत हो जाती है और घर में सुख शांति का निवास रहता है। अब वापिस आएं फोटू की बात पर। फोटूओं की दुनिया में यह डिजीटल कैमरा का दौर है और जापानी भाईयों ने उसे इतना छोटा बना दिया है कि हर जगह साथ ही रहता है। थोड़ा बहुत हमहुँ भी फोटू खींचने की कोशिश करता हुँ। और हम दोनों को अपनी दोनों की इक्कठी फोटो को शौंक भी बहुत है। तो इस मामले में हम दोनों इतने बेशर्म हो चुके हैं कि कहीं भी जब दिल करता है भाईसाब एक फोटू खींच देंगे।