ठेका मित्रां दा
भई इंटरनेट के चलते दुनिया बड़ी मस्त हो गई है। पता नहीं कब कहाँ किस से मुलाकात हो जाए। अब देखिए न पहले जब हिंदी चिट्ठे की शुरुआत की तो हिंदी ब्लॉगमंडल के आदिपुरुष आलोक जी से बातें शुरु हुई। बाद में पता चला कि वे भी चंडीगढ़ के टोटों (जवान सुंदर लड़की) को ताड़ते हुए PEC में ही पढ़े हैं। आज थैंक्सगिविंग पर ठलुआई करते करते अमित गर्ग जी की कविता पढ़ी – जिसे फौरन [
भई इंटरनेट के चलते दुनिया बड़ी मस्त हो गई है। पता नहीं कब कहाँ किस से मुलाकात हो जाए। अब देखिए न पहले जब हिंदी चिट्ठे की शुरुआत की तो हिंदी ब्लॉगमंडल के आदिपुरुष आलोक जी से बातें शुरु हुई। बाद में पता चला कि वे भी चंडीगढ़ के टोटों (जवान सुंदर लड़की) को ताड़ते हुए PEC में ही पढ़े हैं। आज थैंक्सगिविंग पर ठलुआई करते करते अमित गर्ग जी की कविता पढ़ी – जिसे फौरन](http://hindi.pnarula.com/akshargram/2004/11/25/105/) और उसके बाद क्या देखते हैं कि ये तो अपने PEC से ही हैं। शायद 2000 बैच से होंगे।
अमित के कैमरे से फिर से कॉलेज की यादें ताज़ा हो गई। ऊपर जो फोटो आप देख रहें हैं वह है कॉलेज का सैंट्रल वेरका का दूध का ठेका। इसे आप आशिकों का ठीया भी समझ सकते हैं। जैसे कि सिनसिनाटी की कोई भी शादी बिना [
भई इंटरनेट के चलते दुनिया बड़ी मस्त हो गई है। पता नहीं कब कहाँ किस से मुलाकात हो जाए। अब देखिए न पहले जब हिंदी चिट्ठे की शुरुआत की तो हिंदी ब्लॉगमंडल के आदिपुरुष आलोक जी से बातें शुरु हुई। बाद में पता चला कि वे भी चंडीगढ़ के टोटों (जवान सुंदर लड़की) को ताड़ते हुए PEC में ही पढ़े हैं। आज थैंक्सगिविंग पर ठलुआई करते करते अमित गर्ग जी की कविता पढ़ी – जिसे फौरन [
भई इंटरनेट के चलते दुनिया बड़ी मस्त हो गई है। पता नहीं कब कहाँ किस से मुलाकात हो जाए। अब देखिए न पहले जब हिंदी चिट्ठे की शुरुआत की तो हिंदी ब्लॉगमंडल के आदिपुरुष आलोक जी से बातें शुरु हुई। बाद में पता चला कि वे भी चंडीगढ़ के टोटों (जवान सुंदर लड़की) को ताड़ते हुए PEC में ही पढ़े हैं। आज थैंक्सगिविंग पर ठलुआई करते करते अमित गर्ग जी की कविता पढ़ी – जिसे फौरन](http://hindi.pnarula.com/akshargram/2004/11/25/105/) और उसके बाद क्या देखते हैं कि ये तो अपने PEC से ही हैं। शायद 2000 बैच से होंगे।
अमित के कैमरे से फिर से कॉलेज की यादें ताज़ा हो गई। ऊपर जो फोटो आप देख रहें हैं वह है कॉलेज का सैंट्रल वेरका का दूध का ठेका। इसे आप आशिकों का ठीया भी समझ सकते हैं। जैसे कि सिनसिनाटी की कोई भी शादी बिना](http://www.cincinnati.com/fountain/history.html) पर फोटो खिंचवाए बिना पूरी नहीं हो सकती वैसे ही कोई भी आशिकी यहाँ बतियाये बिना परवान नहीं चढ़ सकती। दूसरी फोटो जो आप नीचे देख रहै हैं वह है कॉलेज के प्रथम वर्ष हौस्टल की। पता नहीं कितने फ्ररैश्रस् का यहाँ शीलहरण हुआ होगा। लगता है कॉलेज प्रशासन ने मुये सीनियर्स से बचाने के लिए गेट लगवा दिया है हमारे टाईम में तो नहीं था।
ये दोनो फोटो अमित की [
भई इंटरनेट के चलते दुनिया बड़ी मस्त हो गई है। पता नहीं कब कहाँ किस से मुलाकात हो जाए। अब देखिए न पहले जब हिंदी चिट्ठे की शुरुआत की तो हिंदी ब्लॉगमंडल के आदिपुरुष आलोक जी से बातें शुरु हुई। बाद में पता चला कि वे भी चंडीगढ़ के टोटों (जवान सुंदर लड़की) को ताड़ते हुए PEC में ही पढ़े हैं। आज थैंक्सगिविंग पर ठलुआई करते करते अमित गर्ग जी की कविता पढ़ी – जिसे फौरन [
भई इंटरनेट के चलते दुनिया बड़ी मस्त हो गई है। पता नहीं कब कहाँ किस से मुलाकात हो जाए। अब देखिए न पहले जब हिंदी चिट्ठे की शुरुआत की तो हिंदी ब्लॉगमंडल के आदिपुरुष आलोक जी से बातें शुरु हुई। बाद में पता चला कि वे भी चंडीगढ़ के टोटों (जवान सुंदर लड़की) को ताड़ते हुए PEC में ही पढ़े हैं। आज थैंक्सगिविंग पर ठलुआई करते करते अमित गर्ग जी की कविता पढ़ी – जिसे फौरन](http://hindi.pnarula.com/akshargram/2004/11/25/105/) और उसके बाद क्या देखते हैं कि ये तो अपने PEC से ही हैं। शायद 2000 बैच से होंगे।
अमित के कैमरे से फिर से कॉलेज की यादें ताज़ा हो गई। ऊपर जो फोटो आप देख रहें हैं वह है कॉलेज का सैंट्रल वेरका का दूध का ठेका। इसे आप आशिकों का ठीया भी समझ सकते हैं। जैसे कि सिनसिनाटी की कोई भी शादी बिना [
भई इंटरनेट के चलते दुनिया बड़ी मस्त हो गई है। पता नहीं कब कहाँ किस से मुलाकात हो जाए। अब देखिए न पहले जब हिंदी चिट्ठे की शुरुआत की तो हिंदी ब्लॉगमंडल के आदिपुरुष आलोक जी से बातें शुरु हुई। बाद में पता चला कि वे भी चंडीगढ़ के टोटों (जवान सुंदर लड़की) को ताड़ते हुए PEC में ही पढ़े हैं। आज थैंक्सगिविंग पर ठलुआई करते करते अमित गर्ग जी की कविता पढ़ी – जिसे फौरन [
भई इंटरनेट के चलते दुनिया बड़ी मस्त हो गई है। पता नहीं कब कहाँ किस से मुलाकात हो जाए। अब देखिए न पहले जब हिंदी चिट्ठे की शुरुआत की तो हिंदी ब्लॉगमंडल के आदिपुरुष आलोक जी से बातें शुरु हुई। बाद में पता चला कि वे भी चंडीगढ़ के टोटों (जवान सुंदर लड़की) को ताड़ते हुए PEC में ही पढ़े हैं। आज थैंक्सगिविंग पर ठलुआई करते करते अमित गर्ग जी की कविता पढ़ी – जिसे फौरन](http://hindi.pnarula.com/akshargram/2004/11/25/105/) और उसके बाद क्या देखते हैं कि ये तो अपने PEC से ही हैं। शायद 2000 बैच से होंगे।
अमित के कैमरे से फिर से कॉलेज की यादें ताज़ा हो गई। ऊपर जो फोटो आप देख रहें हैं वह है कॉलेज का सैंट्रल वेरका का दूध का ठेका। इसे आप आशिकों का ठीया भी समझ सकते हैं। जैसे कि सिनसिनाटी की कोई भी शादी बिना](http://www.cincinnati.com/fountain/history.html) पर फोटो खिंचवाए बिना पूरी नहीं हो सकती वैसे ही कोई भी आशिकी यहाँ बतियाये बिना परवान नहीं चढ़ सकती। दूसरी फोटो जो आप नीचे देख रहै हैं वह है कॉलेज के प्रथम वर्ष हौस्टल की। पता नहीं कितने फ्ररैश्रस् का यहाँ शीलहरण हुआ होगा। लगता है कॉलेज प्रशासन ने मुये सीनियर्स से बचाने के लिए गेट लगवा दिया है हमारे टाईम में तो नहीं था।
ये दोनो फोटो अमित की](http://pg.photos.yahoo.com/ph/amitgarg80/album?.dir=4c5d&.src=ph&store=&prodid=&.done=http%3a//pg.photos.yahoo.com/ph/amitgarg80/my_photos) से टोपो मारी आशा है कि वे बुरा नहीं मानेंगे।