अब कह भी दो हाँ
स्टीफानो (कोकून के रचयिता) हैं ने अपने चिट्ठे से “Getting to Yes”, जो कि एक पुस्तक है के संक्षेप पर निर्देशित किया । संक्षेप काफी पंसद आया सोचा चलो इसका हिन्दी अनुवाद करते हैं । अनुवाद सोच से अधिक कठिन निकला । बहरहाल पेश है अनुवाद की पहली कड़ी हाँ कहलवाना – मोलभाव बिना झुके
- सम्मति पर पहुँचने की मुश्किल स्थितियों पर मोल भाव
1.1. स्थितियाँ प्रस्ताव एवं प्रति-प्रस्ताव की तरह
1.2. स्थितियों पर ज्यादा वाद विवाद विभिन्न दलों को ऐसी दशा में ला सकता है कि इसका परिणाम अच्छी सम्मति से कम हों
1.3. स्थितियों की लड़ाई, लाभों पर ध्यान देने से ज्यादा समय ले सकती है क्यूँकि हो सकता है कि दोनों दलों के फायदे वाले फैसले पर पहुँचने से दोनों दल एक दूसरे को काफी प्रस्ताव प्रति-प्रस्ताव रखें ।
1.4. स्थितियों का विवाद अच्छे पुराने चलते हुए सम्बंधों को हानि पहुँचा सकता है
1.5. दो दलों से ज्यादा होने पर स्थितियों पर विवाद और भी मुश्किल हो जाता है
- सिर्फ “अच्छा” बने रहना सम्मति पर पहुँचनें में मदद नहीं करता – “सख्त” एवं ”नरम” दो तरह की स्थितियाँ हो सकती हैं ( सख्त = ना झुकना; नरम = झुक जाना )
2.1. नरम – आप बहुत ज्यादा रियाअत दे सकते हैं
2.2. सख्त – आप अपने सम्बंध को हानि पहुँचा सकते हैं
- हल: सम्सया की “योग्यताओं” पर मोल भाव करें
3.1. सैद्धान्तिक मोल-भाव का प्रयोग करें
3.1.1. मोल-भाव में शामिल प्रतियोगियों को सम्सया सुलझाने वालो की दृष्टि से देखें न मित्र या भाड़े के टट्टू की नज़र से
3.1.2. लक्ष्य प्राप्ति को जीतने या केवल सम्मति पर पहुँचने की तरह न देखते हुए सौहार्द एवम् प्रभावी फल पर पहुँचने की नज़र से देखें
3.2. व्यक्तियों को समस्या से पृथक देखें
3.2.1. व्यक्तियों पर नरम रहते हुए समस्या को कड़ी दृष्टि से देखें
3.2.2. आगे बढ़ते रहें चाहे आप विपक्षी पर विश्वास करते हैं या नहीं
3.3. लाभ पर ध्यान दें न कि स्थिति पर
3.3.1. एक दूसरे के लाभ को खोजें ( दूसरा चाहता क्या है, उसकी ज़रूरत क्या है ) – यह सब प्रस्ताव, प्रति-प्रस्ताव या धमकी से कही बढ़कर है
3.3.2. केवल अंतःफल (bottom line) पर ही ना चिपके रहें
3.4. प्रस्पर लाभ के लिए विकल्प पैदा करें
3.4.1. बहु- विकल्पों के लिए बौद्धिक (brainstorming) करें
3.4.2. बौद्धिक के समय विकल्प पर निर्णय मत लें
3.4.3. सर्वोत्तम विकल्प पर निर्णय अंत में लें
3.5. विषय-संबधित मानक चुनना
3.5.1. ऐसे मानकों पर ध्यान दें जो कि मोल-भाव में शामिल लोगो की चाह व भावनाओं से स्वतंत्र हों
3.5.2. तर्क व प्रयोजन – सैद्धांतिक एवं न्यायोचित बातों को मानें न कि दबाव में आकर
- जो समस्याएं आ सकती हैं
4.1. यदि आपका प्रतिद्वंदी ज्यादा ताकतवर हो
4.1.1. अपनी बात का ध्यान रखें, किसी ऐसी बात के लिए हाँ मत कीजिए जो आप नहीं चाहते 4.1.1.1. अंतःफल से ही मत चिपके रहें, बस अपने वाँछित फल पर ध्यान दें
4.1.1.2. अपना बाटना(BATNA, Best Alternative To Negotiating Argument) या फिर मोलभाव वाली समस्या का सर्वोत्तम विकल्प
4.1.1.3. आप पहले झुक जाएंगे या फिर असुरक्षा महसूस करेंगे यदि आप अपना सर्वोत्तम विकल्प नहीं जानते